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लेखनी कहानी -01-Aug-2023 वो हमसफ़र था, एपिसोड 35

"अभीर,,, अभीर,,, तू यहाँ है,,, वहां अभिनव जख़्मी हो गया है,,, जा उसे जाकर देख " अभिनव के एक दोस्त ने आकर कहा।

अभीर जो की फेयरवेल की तैयारी कर रहा था, अभिनव के दोस्त को इस तरह अभिनव के बारे में बताता देख वो उससे बोला " हाँ,,, क्या हुआ? इस तरह क्यूँ आ रहा है भागता हुआ? अब क्या किया अभिनव ने? "

"अभीर तू चल कर तो देख, उसके हाथ से खून निकल रहा है,,, पता नही उसे क्या हो गया था,, उसने कैंटीन में थोड़ा हंगामा कर दिया जिसके चलते उसे चोट लग गयी,, तू आकर देख ले रखा बार,,, प्लीज उसके हाथ से खून निकल रहा है " अभिनव के दोस्त ने कहा।

"ये अभिनव भी ना,,, चल अच्छा,,, तुम लोगो देखो जरा,,, मैं अभी आता हूँ,,, वैसे सब कुछ हो गया है,,, बाकी कल कर लेंगे " अभीर ने वहां काम कर रहे अपने अन्य दोस्तों से कहा और अभिनव के दोस्त के साथ जाने लगा

वो आगे बड़ा ही था, कि हंशल वहां आन पंहुचा और अभीर को देख कहने लगा " हाँ,,, भाई कहा जा रहा है? "

"बस कैंटीन तक जा रहा हूँ,,, पता नही अभिनव ने किसके साथ मार पीट की है,,, क्या तुझे नही मालूम,,, वैसे तू कहा से आ रहा है?" अभीर ने उससे सवाल कर उसे ही सोचने पर मजबूर कर दिया था और वो हकलाते हुए बोला " म,,, म,,, मैं,,, मैं तो यही था,,, अच्छा ज़ब ही सब बच्चें कैंटीन की तरफ जा रहे थे,,, चल चल,,, मैं भी चलता हूँ,,, कही कुछ ज्यादा चोट न लग गयी हो "

"चल, अच्छा " अभीर ने और कुछ ना कहकर उसे भी अपने साथ ले लिया

हनिश्का ने ज़ब उन दोनों और उसके साथ अभिनव के दोस्त को घबराये हुए वहाँ से जाते देखा तो वो भी उनके साथ हो ली,, लेकिन थोड़ा दूरी से

कैंटीन का दृश्य

अभिनव के हाथ से खून बह रहा था, क्यूंकि उसने गुस्से में आकर वहाँ रखी एक प्लेट तोड़ दी थी, जिसका टुकड़ा उसकी कलाई में जा लगा और खून बहने लगा

"क्या हुआ है,, तुझे? ये चोट तुझे कैसे लगी,, क्या तूने किसी से लड़ाई की " अभीर ने एक सास में ही सब कह डाला

अभिनव की आँखे थोड़ी चढ़ने सी लगी थी, मानो वो बेहोश होने वाला हो,, लेकिन इन सब के बावज़ूद भी उसने हंशल की तरफ गुस्से से देखा और फिर उसकी निगाहेँ हनिश्का को ढूंढ रही थी,,, जो की पीछे ख़डी उसे देख रही थी,,, अभिनव,, हंशल की तरफ ऊँगली करके अभीर को कुछ बताने वाला था कि तब ही वो बेहोश हो गया

उसे इस तरह बेहोश देख अभीर थोड़ा घबरा जाता है,,, और वहाँ से सब को हटने का कहता है,,, वो जल्दी से उसे अपने हाथों पर उठा कर पार्किंग की तरफ दौड़ता है,,, हंशल भी उसके साथ जाता है,,, पार्किंग में पहुंच कर,,, अभीर, अभिनव को पीछे वाली सीट पर लेटा देता है,,, हंशल उसके साथ आने का कहता है,,, लेकिन अभीर मना कर देता है, और कहता है, तू यही रुक मैं इसे अस्पताल लेकर जाता हूँ,,, जैसा भी कुक होगा मैं बता दूंगा

हंशल एक दो बार और उससे और चलने का कहता है, लेकिन अभीर उसे रोक देता है,,, आखिर कार अभीर वहां से चला जाता है,,, हंशल उसे वहां से जाता देखता रह जाता है,,, अभीर काफ़ी डर सा गया था, अभिनव को इस हाल में देख

थोड़ी देर बाद, अभीर अभिनव को लेकर अस्पताल पहुंच जाता है, उसे वहां एडमिट कर लिया जाता है,,, और उसका इलाज होने लगता है,,, अभीर अभी भी बहुत घबराया हुआ सा था,,, ऐसा लग रहा था मानो अभिनव को कुछ हो जाएगा,, और तो और उसे ऐसा लग रहा था मानो अभिनव कुछ बता रहा था,,, उसी के साथ साथ उसे इस बात का भी डर था कि वो घर वालो को कैसे बताये,,, कि अभिनव को क्या हुआ है,,, बस वो इसी दुविधा में हॉस्पिटल में बैठा रहा,, और डॉक्टर् के जवाब का इंतजार करने लगा

हंशल ने भी फोन करना सही नही समझा,,, कॉलेज धीरे धीरे खाली होने लगा था,, शाम होने लगी थी इसलिए हंशल भी वहाँ से जाने की सोचता है,,, वो हनिश्का से मिलना तो चाह रहा था लेकिन अभीर की चिंता उसे ज्यादा हो रही थी इसलिए वो हनिश्का को बाय किये बिना ही वहाँ से चला जाता है,,, हनिश्का भी उसकी कंडीशन समझ रही थी,, इसलिए वो भी संध्या के साथ वहां से चली जाती है।

अभीर अभी भी, अस्पताल में था,,, उसने घर पर भी किसी को नही बताया,,, क्यूंकि अभी तक डॉक्टर ने भी कोई जवाब नही दिया था,,, नही मालूम अभिनव किस हाल में था, ज़ब तक उसे नही पता चल जाता तब तक वो कैसे बता सकता था, धीरे धीरे शाम हो जाती है,,, और फिर डॉक्टर कमरे से निकलते है, उन्हें देख हंशल घबराते हुए पूछता है " क्या हुआ डॉक्टर साहब, मेरा भाई ठीक तो है? "

"हाँ, अभीर बाबू,, आपका भाई अब खतरे से बाहर है " डॉक्टर और कुछ कहता तब ही अभीर बोल पड़ा " क्या मतलब इस बात से,,, इसका मतलब अभिनव को ज्यादा चोट लग गयी थी "

"ज्यादा तो नही,, लेकिन हाँ,,, उसकी नस कट गयी थी,, शायद जो चीज इसके हाथ पर लगी थी,,, उसने हाथ की नस काट दी थी,,, जिसके चलते खून बहुत बह गया था,,, और इन्हे कमजोरी हो गयी और फिर ये बेहोश हो गए,,, लेकिन आप फ़िक्र मत करो थोड़ी देर में उन्हें होश आ जाएगा,,, आप मिल लेना,,, अच्छा किया जो अपने साथ ही ले आये,,, वरना जान भी जा सकती थी " डॉक्टर ने कहा।

डॉक्टर की बात सुन हंशल ने खुद को संभाला और बोला " शुक्रिया! डॉक्टर साहब, आप सच कह रहे है ना,,, मेरा भाई ठीक तो है ना,,, कोई खतरे की बात तो नही है ना,,, अगर कुछ है तो मुझे बता दीजिये "

"अरे नही,, अभीर! मैं कह रहा हूँ ना, तुम्हारा भाई बिलकुल ठीक है,,, थोड़ी देर बाद तुम उसे घर भी ले जा सकते हो,,, वो बिलकुल ठीक है " डॉक्टर साहब ने कहा।

हंशल के चहरे पर एक मुस्कान उभर आयी,,, डॉक्टर उसके कांधे पर हाथ मार कर उसे हौसला रखने का कह कर वहां से चले गए,, हंशल एक गहरी सास लेता है और अपने आप से कहता है " थैंक गॉड,,, आपने अभिनव को बचा लिया,,, अगर मैं उसे देखने नही जाता तो कुछ भी हो सकता था,,, मैं पापा को क्या जवाब देता और तो और शालू आंटी और यश चाचा को क्या जवाब देता,,, भले ही मैं उससे नही बोलता हूँ,, लेकिन है तो वो मेरा भाई, उसे कैसे मुसीबत में देख सकता हूँ,,, शुकर है भगवान का उसे कुछ हुआ नही,,, अभी पापा को बता देता हूँ,,मुझे घर पर नही देखा तो परेशान हो जाएंगे,,, मेरा मोबाइल, मेरा मोबाइल कहा है, अभीर ने कहा अपनी जेब पर हाथ मारते हुए

फिर उसे ख्याल आता है, कि शायद उसका मोबाइल गाड़ी में छूट गया है,,, इसलिए वो उसे लेने जाता है,,,

बाहर निकलता है तो चारो और अंधेरा ही अंधेरा घिरा हुआ होता है,,, वो गाड़ी में मोबाइल ढूंढता है,,, ज़ब उसे मोबाइल मिल जाता है,, तो उसे उठा कर अंदर ले जाता है,,, उस पर मारथा और हंशल की काफ़ी मिस्ड कॉल थी और तो और एक और शख्स की भी मिस्ड कॉल थी और वो थी हनिश्का,, शायद उसे भी अभिनव की फ़िक्र थी इसलिए उसने उसे कॉल किया ताकि पूछ सके

अभीर सबसे पहले मारथा को फोन कर सारी सूरत - ए - हाल बयान कर देता है, मारथा घबरा जाती है,, लेकिन अभीर उसे बताता है कि सब ठीक है,,, थोड़ी देर में वो घर आ जाएंगे

शालू,, पीछे से मारथा की बातें सुन लेती है,,, जिसे सुन वो घबरा जाती है,,, लेकिन मारथा अभीर से उसकी बात करा देती है,,, पहले तो वो बहुत रोने लगती है,,, और अस्पताल आने का कहती है,,, लेकिन अभीर उससे कहता है,,, कि वो सब देख रहा है,,अभिनव के होश में आते ही,, वो उसे घर ले आएगा।

जिसके बाद वो थोड़ा होश में आती है,, और अपने कमरे में चली जाती है।

वही दूसरी तरफ हंशल अपने घर पहुंच जाता है, जहाँ उसके घर वाले उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, उन्हें खुश देख वो अभिनव वाली बात नही बताता बेवजह वो लोग परेशान हो जाते, इसलिए वो उनके साथ अपनी नौकरी लगने की ख़ुशी एन्जॉय करने लगता है, लेकिन उसे इस बात की फ़िक्र लगी थी कि नही मालूम अभीर केसा होगा और तो और अभिनव भी,,, क्यूंकि उसने अभी तक उसके कॉल का जवाब नही दिया

अभीर जो की मोबाइल हाथ में लिए बाहर बैठा, अभिनव के होश में आने का इंतजार कर रहा था, उसकी नजर हनिश्का के नंबर पर गयी उसे याद आया की उसे हनिश्का को कॉल करके बताना चाहिए, उसने घड़ी में समय देखा तो रात के 8 बज चुके थे,, उसका एक मन कह रहा था कि वो उसे कॉल करे और दूसरा कह रहा था कि नही मालूम रात को वो भी इस समय उसे कॉल करना ठीक रहेगा कि नही,,, इसी कश्मकश में वो मोबाइल हाथ में लिए बैठा था, उसकी एक निगाह हनिश्का के नंबर पर जा रही थी तो दूसरी सामने लगी घड़ी पर जो कि बस टिक टिक करके चले जा रही थी

क्या अभीर? हनिश्का को फोन कर अभिनव के बारे में बता पायेगा,,, जानने के लिए पढ़ते रहिये

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